बोल जितने प्यारे हैं, लक्ष्मी-प्यारे ने रीदम सेक्शन में ढोलक और तबले के ठेकों का इस ख़ूबसूरती से इस्तेमाल किया है कि दिल मचल उठता है इसे सुनते हुए।
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बोल जितने प्यारे हैं, लक्ष्मी-प्यारे ने रीदम सेक्शन में ढोलक और तबले के ठेकों का इस ख़ूबसूरती से इस्तेमाल किया है कि दिल मचल उठता है इसे सुनते हुए।
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कभी रीदम सेक्शन, कभी सिटिंग्स् में जाया करता था, तबला लेकर उनके साथ बैठता, कैसे गाना बनता है, शायर भी होते थे वहाँ, फिर गाना बनने के बाद 'ऐरेंजमेंट' कैसे किया जाता है, ये सब मैने देखा और सीखा।
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कभी रीदम सेक्शन, कभी सिटिंग्स् में जाया करता था, तबला लेकर उनके साथ बैठता, कैसे गाना बनता है, शायर भी होते थे वहाँ, फिर गाना बनने के बाद ' ऐरेंजमेंट ' कैसे किया जाता है, ये सब मैने देखा और सीखा।